जीवन के दो पल मुझे उधार ही दे दो, सुकून की हों घड़ियाँ भले दो चार ही दे दो! जमाना तुम रख लो मुझे मेरा यार ही दे दो, सुंदर भी हों गर फूल काग़ज के तो मेरे किस काम के मुझे तकलीफ़ भी दो तो सच्ची लगे फिर चाहे काँटों का हार ही दे दो! ©Harishh,,, A flower without fragrance,,,