Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशी

 प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशील के पथ पर अग्रसर होने के लिए । प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है देशों की जनसंख्या वृद्धि दर आवास,विगत शताब्दी दशक वर्षों में ग्रामीणों अंचलों से विस्थापन, नगरीकरण,व महानगरों में बड़े भवनों का निर्माण।सघन वनो का विनास, कल-कारखाने, उधोगों ।पर्या वन जीव जंतु का विलुप्त होना।पशु, पक्षी, वृक्षों को नष्ट करना। मानव स्वभाव बस दिवस प्रति दिवस मांसाहारी हो रहा है प्रकृति साग सब्जी को छोड़कर । पशु पक्षी अन्य जीव जंतु,का भाक्षण कर रहा।इनके दुष्प्रभाव जीवाण
 प्रकृति के समक्ष मानव लाचार हो जाता । मानव विकासशील के पथ पर अग्रसर होने के लिए । प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है देशों की जनसंख्या वृद्धि दर आवास,विगत शताब्दी दशक वर्षों में ग्रामीणों अंचलों से विस्थापन, नगरीकरण,व महानगरों में बड़े भवनों का निर्माण।सघन वनो का विनास, कल-कारखाने, उधोगों ।पर्या वन जीव जंतु का विलुप्त होना।पशु, पक्षी, वृक्षों को नष्ट करना। मानव स्वभाव बस दिवस प्रति दिवस मांसाहारी हो रहा है प्रकृति साग सब्जी को छोड़कर । पशु पक्षी अन्य जीव जंतु,का भाक्षण कर रहा।इनके दुष्प्रभाव जीवाण