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स्वछंद उन्मुक्त बालपन काठ का घोड़ा दौड़ा कर करता मनो

स्वछंद उन्मुक्त बालपन
काठ का घोड़ा दौड़ा कर
करता मनोरंजन!
चल मेरे घोड़े टमटम टम!
कभी मिट्टी से बनाकर
घर खेले घर घर!
गोल गोल घूमता
साईकल का पहिया
अपना निजी वाहन!
पृथ्वी गोल है इससे
परिचित न थे हम!
अहा!कितना आनंदित
करती हैं स्मृतियाँ!
होती है स्मरण
भौतिक सुविधाओं से
युक्त न थे
मगर सच्चे सुख आंनद
से मुक्त न थे
अर्थ ने अर्थ बदल दिए
जीवन के
अब अर्थ कमाने में
खो गए सब सुख बचपन के स्वछंद उन्मुक्त बालपन
काठ का घोड़ा दौड़ा कर
करता मनोरंजन!
चल मेरे घोड़े टमटम टम!
कभी मिट्टी से बनाकर
घर खेले घर घर!
गोल गोल घूमता
साईकल का पहिया
स्वछंद उन्मुक्त बालपन
काठ का घोड़ा दौड़ा कर
करता मनोरंजन!
चल मेरे घोड़े टमटम टम!
कभी मिट्टी से बनाकर
घर खेले घर घर!
गोल गोल घूमता
साईकल का पहिया
अपना निजी वाहन!
पृथ्वी गोल है इससे
परिचित न थे हम!
अहा!कितना आनंदित
करती हैं स्मृतियाँ!
होती है स्मरण
भौतिक सुविधाओं से
युक्त न थे
मगर सच्चे सुख आंनद
से मुक्त न थे
अर्थ ने अर्थ बदल दिए
जीवन के
अब अर्थ कमाने में
खो गए सब सुख बचपन के स्वछंद उन्मुक्त बालपन
काठ का घोड़ा दौड़ा कर
करता मनोरंजन!
चल मेरे घोड़े टमटम टम!
कभी मिट्टी से बनाकर
घर खेले घर घर!
गोल गोल घूमता
साईकल का पहिया
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator