ख़ामोशी के दलदल में अब नहीं रहना, तुमसे है अब कुछ कहना। बात दिल में अपनें कब तक रखूं, अब नहीं होता मुझसे सहना।। चुप है मेरे लब, झुकी हुई निगाहें मेरी, मन में मेरे प्रश्न गंभीर। कैसे कहूं तुमसे अपनें दिल की बात, अब तो सुनता नहीं कोई धीर।। #साहित्यिक_सहायक #साहित्यिकसहायक