!!विचार कर्णिका!! हिय के समझे जो रत्न हमें,वो श्वेतरंजन निकले है! उन्हें क्या दोष दे हम जी,क्योंकि दोषी हमीं निकले है!!... वास्तव में देखा जाये तो व्यक्ति का साथ जब तक है उसके क्षणिक मन में, हिय में है जब तक वो चाहता है उसके बाद तो क्या है कुछ नहीं, हैं तो मृग मरीचिका सी स्मृति या कहे केवल हृदय को बहलाते अपनी ओर से अनृत आश्वासन का देते संबल फिर भी बात समझ से परे है तो फिर झेलों... तुम हो ही इसी लायक,एक बात है समझ आए तो मानना अपना साथी बताओ अच्छा अपने स्वप्नों को, विचारों को, स्वयं को और अंत में अभिरुचियों को देश को, समय को बाकी आपकी इच्छा है क्या चुनना पसंद करेंगे .... आगे आप स्वयं समझदार है तो ... Don't Worry Bol Hari... द्वारा :– योगेश कुमार मिश्र"योगी" ©Yogesh Kumar Mishra"yogi योगेश कुमार मिश्र"योगी" mail: yogeshkumarmishra661@gmail.com दूरभाष क्रमांक : ९६३६२८७२२८ #विचार_कर्णिका #काव्य #हिंदी_साहित्य #हिंदी_साहित्यकार #नवोदित_साहित्यकार