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मैं नजर ना आऊं और तुम बेचैन हो जाओ,रस्म-ए-मोहब्बत

मैं नजर ना आऊं और तुम बेचैन हो जाओ,रस्म-ए-मोहब्बत में मुझे ऐसा मुकाम चाहिए,मैंने आंखों में सजाए हैं कई ख्वाब तुम्हारे,मुझे इन ख्वाबों का एक मुकम्मल जहां चाहिए।

©imran ansari
  #happykarwachauth