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सुबह सवेरे आकर मेरा घर आँगन चहकाती थी आवाज़ में गीत

सुबह सवेरे आकर मेरा घर आँगन चहकाती थी
आवाज़ में गीत मधुर वो गाती थी
कभी यहाँ, कभी वहाँ पल में उड़ जाती थी
साथ मे आशा की नई उम्मीदे लेकर आती थी
वह नन्ही सी चिड़िया रानी जीवन का सही अर्थ बताती थी
सुबह सवेरे आकर मेरा घर-आँगन  चहकाती थी
छोटा-सा एक घोसला उसने बना रखा था
अपना सुंदर सा आशियाना मेरे आँगन में सजा रखा था
उसके आस-पास घूमकर मुझे बताया करती थी
घर है मेरा दूर रहो,यह कहकर परिणाम समझाया करती थी
कुछ साथिया थे उसके ध्यान बड़ा वो रखती थी
माँ होने का ज़िम्मेदारी का ख्याल बड़ा वो रखती थी
उन नन्ही सी जानो के लिए हर वक्त परिश्रम करती थी
धूप-बारिश से बचे रहे वो इसलिए जर काम याद से किया करती थी
संघर्ष करती आगे बढ़ती उसने कठनाइयों से लड़ने की ठानी थी,
तिनका-तिनका जोड़कर उसे जीवन का सफर जो सजाती थी
अपने नन्ही सी जान का ध्यान उसे ही रखना था,
उसके पालन-पोषण के लिए कर्म उसे ही करना था
जो भी मिल जाए धन्यभाव से उठाती थी,
अपने बच्चो को बड़े प्यार से खिलाती थी
आसमाँ में सफर बनाना सीख लिया
उस वक्त माँ के आशियाने से रिश्ते तोड़ा था
तिनका-तिनका जोड़कर जिसके घोसला बनाया उन बच्चो ने उसका वो प्यारा सा बसेरा बड़े प्यार से छोड़ा था
वह चिड़िया खुश थी उसके बच्चो ने उड़ना सिखाया था
आसमान को छूकर सपनो को पूरा करना सिखा था
अंदर से जो टूट चुकी माँ की ममता रोई थी
अपने बच्चों से जुदा होकर कौन सी माँ सुकून से सोई थी।।
 Day _ 7
प्रतियोगिता  _ "हम लिखते रहेंगे "
Team . 17 __" साहित्य संजीवनी "
Team Captain __ Sushma Nayyar 
Team Members__
1_ Sanjay Sahai
2 _ Ujjawal Pratap Singh
3_ Pooja Jain
सुबह सवेरे आकर मेरा घर आँगन चहकाती थी
आवाज़ में गीत मधुर वो गाती थी
कभी यहाँ, कभी वहाँ पल में उड़ जाती थी
साथ मे आशा की नई उम्मीदे लेकर आती थी
वह नन्ही सी चिड़िया रानी जीवन का सही अर्थ बताती थी
सुबह सवेरे आकर मेरा घर-आँगन  चहकाती थी
छोटा-सा एक घोसला उसने बना रखा था
अपना सुंदर सा आशियाना मेरे आँगन में सजा रखा था
उसके आस-पास घूमकर मुझे बताया करती थी
घर है मेरा दूर रहो,यह कहकर परिणाम समझाया करती थी
कुछ साथिया थे उसके ध्यान बड़ा वो रखती थी
माँ होने का ज़िम्मेदारी का ख्याल बड़ा वो रखती थी
उन नन्ही सी जानो के लिए हर वक्त परिश्रम करती थी
धूप-बारिश से बचे रहे वो इसलिए जर काम याद से किया करती थी
संघर्ष करती आगे बढ़ती उसने कठनाइयों से लड़ने की ठानी थी,
तिनका-तिनका जोड़कर उसे जीवन का सफर जो सजाती थी
अपने नन्ही सी जान का ध्यान उसे ही रखना था,
उसके पालन-पोषण के लिए कर्म उसे ही करना था
जो भी मिल जाए धन्यभाव से उठाती थी,
अपने बच्चो को बड़े प्यार से खिलाती थी
आसमाँ में सफर बनाना सीख लिया
उस वक्त माँ के आशियाने से रिश्ते तोड़ा था
तिनका-तिनका जोड़कर जिसके घोसला बनाया उन बच्चो ने उसका वो प्यारा सा बसेरा बड़े प्यार से छोड़ा था
वह चिड़िया खुश थी उसके बच्चो ने उड़ना सिखाया था
आसमान को छूकर सपनो को पूरा करना सिखा था
अंदर से जो टूट चुकी माँ की ममता रोई थी
अपने बच्चों से जुदा होकर कौन सी माँ सुकून से सोई थी।।
 Day _ 7
प्रतियोगिता  _ "हम लिखते रहेंगे "
Team . 17 __" साहित्य संजीवनी "
Team Captain __ Sushma Nayyar 
Team Members__
1_ Sanjay Sahai
2 _ Ujjawal Pratap Singh
3_ Pooja Jain