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मजबूरियां हमारी कुछ नहीं थी, फिर भी दूरियां दोस्ती

मजबूरियां हमारी कुछ नहीं थी, फिर भी दूरियां दोस्ती में बढ़ती गई।
इक दौर आया जीवन में ऐसा, मुझे दोस्त की कमी खलती गई।
शुक्रिया अदा करता हूं मैं उसका, उसने मुझको इतना बदल दिया।
अंदर से टूट कर मजबूत बना मैं, उसने मुझको इतना नजरांदाज किया। दूरियां बढ़ती गई।
मजबूरियां हमारी कुछ नहीं थी, फिर भी दूरियां दोस्ती में बढ़ती गई।
इक दौर आया जीवन में ऐसा, मुझे दोस्त की कमी खलती गई।
शुक्रिया अदा करता हूं मैं उसका, उसने मुझको इतना बदल दिया।
अंदर से टूट कर मजबूत बना मैं, उसने मुझको इतना नजरांदाज किया। दूरियां बढ़ती गई।
maheshkumar9900

Mahesh Kumar

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