तेरी तस्वीर जब आंखों में पड़ती है मुस्कुराहट स्वत: दौड़ी चली आती है जैसे इंतज़ार का थोड़ा सा खत्म होना और तुम्हारी मानों वापसी हो, जानते हुए की यह एक मात्र भम्र है फिर भी उस भम्र में खुद को बहा देना अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए, जो सदैव तुम्हारी एक झलक के लिए ललाईत होता है फिर वो तुम्हारी तस्वीर ही क्यों ना हो जो शायद गलती से मेरे पास आया हो और तस्वीर में बसने वालाकभी आना ही ना चाहता है फिर भी....... ©Priya Prasad # तेरी तस्वीर में मेरा जीवन