|| श्री हरि: ||
60 - ऊंघ
'राम, दूध पी ले बेटा! तू दूध पीयेगा तो श्याम भी पीयेगा।' माता रोहिणी अपने आगे बैठाये है अपने स्वर्णगौर कुमार को। दाऊ दोनों चरण आधे मोड़े बैठ गया है और उसके दोनों हाथ भी दूध के कटोरे पर हैं, किंतु नेत्र बंद हैं। अलकें बिखरी हैं मुखपर। वह अधर कटोरे पर लगाकर भी ऊंघ रहा है। माता अपने हाथ से कटोरा सम्हाले है और बार-बार स्नेहपूर्वक दूध पी लेने के लिए कह रही है।
'तू दूध पीयेगा तो श्याम भी पीयेगा।' नींद के वेग में भी दाऊ जैसे कुछ न कुछ समझ लेता है इस बात को। उसके अधर हिल जाते हैं। बहुत छोटे दो-एक घूंट लेकर वह फिर ऊंघने लगता है।
'लाल, तू नहीं पीयेगा तो तेरा दादा भी भूखा रह जायगा।' मैया यशोदा के पास भी यही एक मंत्र है। उनकी गोद में यह आधा लेटा,दोनों चरण फैलाये जो नीलसुंदर है, वह दाऊ की भांति शांत तो है नहीं। कटोरा पकड़ना तो दूर, मुख के पास कटोरा ले जाने पर यह अपने हाथ से उसे हटा देने, दूध फैला देने का प्रयत्न नींद में भी करता है। मैया एक हाथ में कटोरा लिए है और दूसरे से इसे सम्हाले है। बड़ा भाई इसके दूध न पीने से भूखा सो जायगा, इस पर इसके भी अधर दो-चार बूंद दूध भीतर ले लेते हैं। #Books