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पत्थर को पत्थर कहा तो बुरा मान गया, दोस्त को सच कह

पत्थर को पत्थर कहा तो बुरा मान गया,
दोस्त को सच कहा तो गैर जान गया,
यूं तो थी उसकी सारी आदतें पसंद मुझे,
कुछ गलती सुधारने को कहा तो इसे मेरा अहंकार मान गया,
बहुत कुछ खो गया मेरा सच कहने के चक्कर में,
अब सच से मेरा विश्वास हार गया,
सच कहूं तो अपने रूठ जाते,झूठ से मेरा जमीर हार गया,
अब चुप कैसे रहूं,कुछ तो कहना था।


तिलक राज बिघाणा
#Tilakrajbighana

©Tilak Raj Bighana #tilakrajbighana
#Shayar 
#Shayari 
#ValentinesDay
पत्थर को पत्थर कहा तो बुरा मान गया,
दोस्त को सच कहा तो गैर जान गया,
यूं तो थी उसकी सारी आदतें पसंद मुझे,
कुछ गलती सुधारने को कहा तो इसे मेरा अहंकार मान गया,
बहुत कुछ खो गया मेरा सच कहने के चक्कर में,
अब सच से मेरा विश्वास हार गया,
सच कहूं तो अपने रूठ जाते,झूठ से मेरा जमीर हार गया,
अब चुप कैसे रहूं,कुछ तो कहना था।


तिलक राज बिघाणा
#Tilakrajbighana

©Tilak Raj Bighana #tilakrajbighana
#Shayar 
#Shayari 
#ValentinesDay