चलो आज फिर जीने की वजह ढूँढ़ते हैं अँधेरे तो बहुत हैं रोश्नी की पनाह ढूँढ़ते हैं ख़ामोश बैठोगे तो लोग बेज़ा समझ लेंगे थोड़ा सा हँस लिए तो मतलब दूजा समझ लेंगे जाते-जाते मुझे ये तो बता दो टूट कर फिर से जुड़ना मुझे भी सिखा दो रात गहरी हो चली नई जगह ढूँढ़ते है ये दिन भी ख़त्म हो गया नई सुबह ढूँढ़ते हैं... ©abhishek trehan #वजह #जीने_की_वजह #रात #नईसुबह #तलाश #manawoawaratha #yqbaba #yqdidi