राजनीति में नैतिकता का है घोर अभाव। पार्टी बदलना इनका मुख्य स्वभाव। फिजूल दलील से करते ये खुद का बचाव। जनता हीं दे सकती इनको करारा जवाब। चुनाव के वक्त ही होता है बड़ा बदलाव। वैसे साल भर चलता सीट शेयरिंग का जोड़ घटाव। जाति से ऊपर उठकर करो प्रत्याशी का चुनाव। नही तो सत्ता पर बढ़ता रहेगा परिवारवाद का फैलाव। सब ने पहन रखा है झूठ का नकाब। भ्रष्टाचार में लिप्त है ये सारे नवाब। जाति धर्म का खेल खेलकर करते हैं सामाजिक अलगाव। नोटा दबाकर हीं बढ़ाया जा सकता इन पर दबाव। ©Supriya Jha राजनीतिक उलट फेर