सड़ते-गलते-भरते डस्टबिन में ऐसे जमा होता यह मानसिक-वैचारिक कचरा! रीत रहे सतत समय में एकदिन- असहाय, रूग्ण-अकेलापन ही भावनात्मक धरातल पर खंडित शकल वह साझा संक्रमण बिखरता चतुर्दिक बाहर... डस्टबिन के कचरों-सा! #अभिव्यक्ति_का_डस्टबिन @manas_pratyay ©river_of_thoughts #abhivyakti_ka_dustbin #scared