बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ज़िन्दगी एक नियामत है, इसे सम्हाल के रख श्मशानों को सजाने की ज़रूरत क्या है दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है गुलज़ार साहब #मौत#ज़ख़्म#रोग#लड़ाई#क़ुदरत