#OpenPoetry लेकर बूंदो की बारात को बादल आग बुझाने आया हैं या आग लगाने आया हैं ठंडे ठंडे जल से दिल को जलाने आया हैं या मन को जगाने आया हैं नहीं चाहिए तेरी हमदर्दी मुझे ले जा अपनी बारात तू छम-छम,टप-टप, कल-कल बजती शहनाई को ले जा अपने साथ तू नहीं हैं जरूरत नहीं चाहिए तेरा घनघोर साया किस उम्मीद से तू कोहरे का सेहरा बांध के आया पहन कर हरियाली का कोट तू मुझे लुभा न सका रूठी थी में रूठी रही बदलता हुआ तेरा रूप मुझें मना न सका दिल्लगी न कर यूँ बार बार आकर और जाकर तेरी दुल्हन मुझे बनना नहीं क्या पायेगा मुझे मनाकर #OpenPoetry