तेज़ाब गुस्से के तूफाँ पे सवार, कि अपनी बौखलाहट का सबूत लेकर आया था वो। हाथ में अपनी हार का जवाब , की बोतल में तेज़ाब लेकर आया था वो। की दिल में नफरत बेहिसाब और, सोच में मेरी ना का अंजाम लेकर आया था वो। की साथ अपनी वहशी नज़र और, और हाथ में मेरी तबाही का इंतज़ाम लेके आया था वो। की एक बार न सोचा उसने, मेरी ज़िन्दगी की किताब जला आया था वो। बड़ा गुरूर था कि माँ का अक्स पाया था मैंने, एक नहीं दो -दो चेहरे जला आया था वो। ज़ख्म तो एक दिन भर जायेंगे, ज़िस्म नहीं रूह को छलनी कर आया था वो। की आईने से तो नफरत हो चली है अब, मेरे चेहरे पे अपनी दरिंदगी के दस्तखत कर आया था वो। उसे सजा मैं क्या दूँ, उसे सजा मैं क्या दूँ, की कंधे पे अपनी इंसानियत की लाश लेकर आया था वो। -प्रिंसी मिश्रा तेज़ाब #princimishraquotes #baagijazbaat #nojotopoetry #nojotothoughts #nojotoquotes #nojotowriters #words #writers