निरंतर हो रही प्रेम की पीड़ाएं क्षणिक खत्म कहाँ होती हैं, खत्म होती हैं, तो उनकी आशाएँ और आकांक्षाएं, जो रह रह कर ये आभास दिलाती हैं, कि मृत्यु निकट हैं, और दर्द वैसे ही जैसे एक पिली पकी टिसटिसाती घाव! prem_nirala_ निरंतर हो रही प्रेम की पीड़ाएं क्षणिक खत्म कहाँ होती हैं, खत्म होती हैं, तो उनकी आशाएँ और आकांक्षाएं, जो रह रह कर ये आभास दिलाती हैं, कि मृत्यु निकट हैं, और दर्द वैसे ही जैसे एक पिली पकी टिसटिसाती घाव! #prem_nirala_