मैं न...... पतले बहुत पतले मुंह वाली सुराही होना चाहती हूँ जिसमें ब्रम्ह शक्ति रूपी जल निवास करे या फिर कोई निश्छल पवित्र प्रेम की धार ही प्रविष्ट कर सके अन्य किसी ठोस पदार्थ का जाना संभव न हो विनम्रता दयालुता के भावों से लिप्त सहृदय झुककर प्रेम बांटूँ और वितरण के वक्त पात्र की धातु रंग आकार आदि में तनिक मात्र भी भेद न करूँ। #सुराही #कृपा #जल #मानवता #प्रेम