खिला चेहरा एक भोर में, चंचलता के साथ नूर सहजता के आगोश में छुपा,ठिठोली का एक सूरूर कैसे कहें किसे कहें बांध दो एक बंधन में रेशम की डोर लेकर होठों पर मुस्कान आँखों के क्रंदन में बहुत दूरी है,करीबी होकर भी लाम पर हैं काम कोई भी नहीं है पर ना जाने किस काम पर हैं.. खुद का ही कल भुलाकर सूना सा आज मिला हम इसी आशा में जिये पतझड़ को मधुमास मिला वक़्त की इल्तज़ा है,या कुदरत का क्रूर नसीब का दोष है,या कर्म का हुज़ूर बस अब नहीं होता देखकर आँखे फेरने का मन हैं हम बहुत पास मगर हाथ राखी से दूर.... खिला चेहरा एक भोर में, चंचलता के साथ नूर ... सहजता के आगोश में छुपा,ठिठोली का एक सूरूर....। #gif #rakshabandhan Nojoto News