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सुना है अब हवाओं ने भी अपना रुख मोड़ लिया है, कहीं

सुना है अब हवाओं ने भी अपना रुख मोड़ लिया है,
कहीं वे बदलते मौसम के आगोश में तो नहीं आ गई,
कभी ये सुष्क और बेजान सी होकर जमीन को छू कर निकल जाया करती थी,
आज मौसम के साथ खुद में नमी धारण कर अतरंगी सी छू
कर ही निकल गई,
अगर किसी शागिर्द ने उनसे हमारी शिकायत की होती तो चलों हम मान भी लेते,
मगर हम खुद भी इन बदलते हालतों के मद्देनजर परिस्थितियों में कर भी क्या सकते हैं,
जब इन्होंने खुद ही बीन पहल के ही एकाएक शराफत का ही चोला ओढ़ लिया हो,
कहीं जिन्दगी खुद का तमाशा न बना दे इसलिए मौसम की तरफ़ रूख मोड़ लिया हो।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #Ocean #poem #Quote
सुना है अब हवाओं ने भी अपना रुख मोड़ लिया है,
कहीं वे बदलते मौसम के आगोश में तो नहीं आ गई,
कभी ये सुष्क और बेजान सी होकर जमीन को छू कर निकल जाया करती थी,
आज मौसम के साथ खुद में नमी धारण कर अतरंगी सी छू
कर ही निकल गई,
अगर किसी शागिर्द ने उनसे हमारी शिकायत की होती तो चलों हम मान भी लेते,
मगर हम खुद भी इन बदलते हालतों के मद्देनजर परिस्थितियों में कर भी क्या सकते हैं,
जब इन्होंने खुद ही बीन पहल के ही एकाएक शराफत का ही चोला ओढ़ लिया हो,
कहीं जिन्दगी खुद का तमाशा न बना दे इसलिए मौसम की तरफ़ रूख मोड़ लिया हो।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #Ocean #poem #Quote