दिल की यादों के झरोखे में संभाल कर रखे हैं ढ़ाल लिया बचपन की यादों को ख़तों में अपनी जिनको हम बार बार पढ़ लिया करते हैं। वो गर्मी की छुट्टियों में नाना नानी के गाँव जाना वहां की हर पगडंडी को याद रूपी ख़तों में पढ़ लिया करते हैं । उन दिनों की याद के दिल की पत्र-पेटी रूपी फूलों की बगिया को आज भी तरोताजा रखकर जब भी निकाल कर पढ़ते है आंखो में नमी और चेहरे पर मुस्कराहट और मायूसी भरा दिन गुलज़ार हो ख़ुशी से महक जाता है, दिल को बड़ा सुकून मिलता था जब गाँव की जीवन शैली में ख़ुद को ढ़ाल हम सब बच्चे मौज मस्ती से गाँव की बच्चों वाली दुनिया में रहा करते थे। सच में बड़े अनमोल होते हैं ये याद रूपी ख़त जिनकी स्याही कभी धुँधलाती नहीं गुजरते वक्त के साथ और गहरी रंगत में ढ़ल कर हमारी यादों का सुरक्षा कवच बन जिंदगी को महकाती रहती है। ♥️ Challenge-534 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।