विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय । खलस्य साधोर्विपरीतमेतत् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ॥ दुर्जनों और सत्पुरुषों का (व्यवहार) विपरीत होता है । जब कि दुर्जनों की विद्या विवादार्थ, धन गर्वार्थ और शक्ति परपीडन के लिये होती है; सत्पुरुष की विद्या ज्ञानार्थ, धन दानार्थ और शक्ति (अन्य के) रक्षण के लिये होती है । उपयोग एवं दुरुपयोग से सज्जन एवं दुर्जन