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एक दिन मैं भी राख बनूंगा ००००००००००००००००० एक दिन

एक दिन मैं भी राख बनूंगा
०००००००००००००००००
एक दिन मैं भी राख बनूंगा , हवा में उड़ूंगा।
साथ छोड़ कर अपनो का , दर्द किसे कहुंगा।
नया घर होगा , शमशान शहर होगा।
अपनो से बिछड़ कर , जीवन जहर होगा।
सज कर कंधों पर जाउंगा , वापस नहीं आऊंगा।
आंखों में आंसू भरकर , दर्द किसे सुनाऊंगा।
ना रिश्ता ना नाता, साथ होगा एक विधाता।
जो कर्म किया है धरती पर , वहां खुलेगा खाता।
ना धन ना दौलत , रहुंगा सून्य के बदौलत।
कर्मों का हिसाब नगद होगा , नहीं मिलेगी मोहलत।
ना 56 का सीना , ना मंदिर ना मदीना।
गम जितना भी होगा सीने में, अकेला पड़ेगा पीना।
ना सूबह , ना शाम , नहीं कोई काम।
मिट जाएगी पहचान , मिट जाएगा नाम।
ना धूप ना बारिश, नहीं कोई ख्वाहिश।
ना कोई अपना , ना कोई साजिश।
ना गाड़ी ना घोड़ा , नहीं जीवन में रोड़ा।
दु:ख होगा जरुर मन में , अफसोस भी थोड़ा -थोड़ा।
अकेला रहुंगा , सब अकेला सहूंगा।
एक दिन मैं भी राख बनुंगा , हवा में उड़ूंगा।।
००००००००००००००००००००००
प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar #एक दिन मैं भी राख बनूंगा.....
एक दिन मैं भी राख बनूंगा
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एक दिन मैं भी राख बनूंगा , हवा में उड़ूंगा।
साथ छोड़ कर अपनो का , दर्द किसे कहुंगा।
नया घर होगा , शमशान शहर होगा।
अपनो से बिछड़ कर , जीवन जहर होगा।
सज कर कंधों पर जाउंगा , वापस नहीं आऊंगा।
आंखों में आंसू भरकर , दर्द किसे सुनाऊंगा।
ना रिश्ता ना नाता, साथ होगा एक विधाता।
जो कर्म किया है धरती पर , वहां खुलेगा खाता।
ना धन ना दौलत , रहुंगा सून्य के बदौलत।
कर्मों का हिसाब नगद होगा , नहीं मिलेगी मोहलत।
ना 56 का सीना , ना मंदिर ना मदीना।
गम जितना भी होगा सीने में, अकेला पड़ेगा पीना।
ना सूबह , ना शाम , नहीं कोई काम।
मिट जाएगी पहचान , मिट जाएगा नाम।
ना धूप ना बारिश, नहीं कोई ख्वाहिश।
ना कोई अपना , ना कोई साजिश।
ना गाड़ी ना घोड़ा , नहीं जीवन में रोड़ा।
दु:ख होगा जरुर मन में , अफसोस भी थोड़ा -थोड़ा।
अकेला रहुंगा , सब अकेला सहूंगा।
एक दिन मैं भी राख बनुंगा , हवा में उड़ूंगा।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar #एक दिन मैं भी राख बनूंगा.....