हे शिव शंकर बाबा भोलेनाथ खोल तीसरा नेत्र भस्म कर दे जो उपजा है मेरे अंदर पाप निरंकुश हो गया हूँ मै मानव मुझको अपनी जटा से बांध मेरे अंदर भरा है विष विकार सर्प की भांति मुझको भी तू अपने कंठ मे डाल कर दे शांत कुण्डल कमण्डल धारण करने वाले हे बाबा मुझको भी तू संभाल समाधि मे तल्लीन हे मेरे बाबा बालक की अपने सुन करुण पुकार...... #अंजान..... #शिव_शंकर.... #हिंदी_कविता #अंजान.... #nojoto