पैसेंजर से एक्सप्रेस बनने के सफ़र में, धधकती सुलगती पर चलती रही रेलगाड़ी गुज़रती रही उन तमाम काली सुरंगों से, और छोड़ती रही कई गंतव्य राह में जिनपर रुकने का मन किया था रेलगाड़ी पैसेंजर से एक्सप्रेस बनने के सफ़र में, धधकती सुलगती पर चलती रही रेलगाड़ी गुज़रती रही उन तमाम काली सुरंगों से, और छोड़ती रही कई गंतव्य राह में जिनपर भी दिल ने ठहरना चाहा