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भावों की तलहटी में शोर बहुत है रजनी के लिए एक भोर

भावों की तलहटी में शोर बहुत है
रजनी के लिए एक भोर बहुत है
व्यवस्थित जीवन में हलचल को
एक छोटा सा ही चितचोर बहुत है
समर्पित जीवन पे नज़र पारखी हो
भटकाने को वैसे तो डोर बहुत है
भरोसा केवल एक शब्द नहीं होता
ये दुनियां माया से सराबोर बहुत है
अश्क बाजी में लोग माहिर हैं "सूर्य"
पल पल इनका बहता लोर बहुत है

©R K Mishra " सूर्य "
  #भावनाएं  Rama Goswami Bhavana kmishra Dikesh Kanani (Vvipdikesh) भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Ashutosh Mishra