White याद आते हो तो तुमको भुला देता हूं । ख्वाब को थपकियां दे के सुला देता हूं । जब भी सन्नाटे मेरी और बढ़े आते हैं । जॉन को सुनता हूं खुद को रुला देता हूं । जाने किस हाल में किसने चुराई रोटी चोर के हाथ में अब मैं तुला देता हूं। दिल में जो बंद था वो शख्स अपना न हुआ। जिसको देता हूं दिल उसको खुला देता हूं । हाथ उठ जाते हैं हक में दुआ करता हूं। हाथ कट जाए तो सर को झुला देता हूं। तुम क्यों अब भी भला खुद पे सितम ढाते हो। अब भला कौन सी पलकें मैं धुला देता हूं। देखें निर्भय से जरा बच के रहिए साहब सबको हर वक्त नया एक गुला देता हूं । ©निर्भय चौहान #GoodNight करम गोरखपुरिया कवि आलोक मिश्र "दीपक" शायरी attitude लव शायरी शायरी लव रोमांटिक Aaj Ka Panchang हिंदी शायरी