वक्त की तरह डल जाउंगी, आज यहां हूं कल जाने किस राह पर पाऊंगी, मेरी मंजिल कहां है। इसी तलाश में चली जा रही हूं। कदम रास्ते नापते डले जो वक्त तो इतिहास छापते, इस चलती दुनिया में किसको कहां होश है, मैं भी जिंदगी की धुन में रली जा रही हूं। मेरी मंजिल कहां है, इसी तलाश में चली जा रही हूं। बंदी बैठी वक्त के ताले में है कब आएगा सुकून मेरे पाले में, जिंदगी क्या चाहती है, हर कदम पे बताती है। हौसला जिगर मे रख, यूं तो अंधेर भी रोशनी लाती है। रुवाती तो सुख भी है, हमने तो दुःख सहा है। मेरी मंजिल कहां है, इसी तलाश में चली जा रही हूं। ©Kumari Laxmi #kld #kumarilaxmi #kumarishayari #Poetry #Shayari #Dil__ki__Aawaz #alfaaz #SAD #Life #fog