बैठे थे कुछ दूर किनारे धूप छाव में घाट किनारे आए थे कुछ मित्र अपना मसला सुनाने घाट मैं लगा ध्यान तो समस्या भूला बैठे दिन ढ़ला और हुई चांदनी तो गाने बेठे गाते गाते गम अपने वो तारे गिनना भूल गए रात चंदनी और कुछ यादें, बस वो झूल गए अस्सी से शिवाला तक पसरा था सन्नाटा फिर भी रात चांदनी काट रहा था कोई कांटा डूब गई सबकी नईया बैठे उस रात किनारे बच गए कुछ जो थे महादेव सहारे बेठे थे कुछ दूर किनारे धूप छाव मैं घाट किनारे बैठो धूप छाव मैं कभी घाट किनारे। Pic Credit: My cellphone. #life #memories #banaras #ghats #nightlife #friends #ideomotoristic_pen #yqbaba