कुछ ख़्वाब अधूरे से हैं, उन्हें पूरा करना चाहता हूँ। अपनी ख़्वाहिशों का दौर, खुलकर जीना चाहता हूँ। चाहता हूँ कि ख़ुशियाँ मिले, जिस राह में चल पड़ा हूँ। और मैं अपनी सारी हसरतें, आज पूरी करना चाहता हूँ। मुश्किल नहीं आसान है, राह-ए-सफ़र में फिर चलना। गिरकर आज जो संभला हूँ, फिर से चलना चाहता हूँ। देखा है मैंने अपने जीवन में, मुश्किल भरे दौर कई। मुश्किलों से डरता नहीं, इस दौर से निकलना चाहता हूँ। लाख ठोकरें मिली राह में, पर मैं कभी रुका ही नहीं। कितनी बार संभाला खुद को, हर बार संभलना चाहता हूँ। ♥️ Challenge-749 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।