#DearZindagi ज़िन्दगी से समझोता, सारी ज़िन्दगी किया। अब तक जितना जिया,उतना हंसकर जिया। अब और समझोता कर नहीं पाऊंगी। जीवन को जीना हैं, और जी कर जाऊंगी। मैं खुशियां मनाऊंगी, मैं खुशियां मनाऊंगी। खुब जिया दुसरो के लिए,अब अपने सपने सजाऊंगी। जीवन का गीत, मैं एक बार फिर गुन गुनाऊंगी। खुद से किया जो वादा, अब वो निभाऊंगी। अपनी खुशियों के आड़े,अब मैं खुद ना आऊंगी। गम हो चाहे जितने लेकिन हर पल मुस्कुराऊंगी। मैं मुस्कुराऊंगी, मैं मुस्कुराऊंगी। कर के बोझ हल्का मन का, मैं कविता बनाऊंगी। जीवन के साज को,नए ढ़ंग से सजाऊंगी। मैं गुन गुनाऊंगी, मैं गुन गुनाऊंगी। अब मैं जीवन का राग सुनाऊंगी। मैं नेहा बन जाऊंगी, मैं नेहा बन जाऊंगी। नेहा{बारिश} #DearZindagi