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ये कहानी मेरी रियल है 6 june 1998 ki.

ये कहानी मेरी रियल है 6 june 1998 ki.                  घर से मेरा छोटा सा झगड़ा हुआ था और मैं घर से भाग गया था सबसे  पहले जालंधर रेलवे स्टेशन  पर गया मैंने वहां से जम्मू का टिकट लिया और  सफर में मैंने सोचा था कि माता वैष्णो देवी जाऊंगा मैं जम्मू के रेलवे स्टेशन पहुंचा उसके बाद में बस स्टैंड गया बस स्टैंड से गाड़ी जा रही थी अमरनाथ को अब मेरे मन में आया क्यों ना मैं अमरनाथ यात्रा के लिए जाता हूं मेरे पास कोई कपड़ा कोई बैग भी नहीं था मैंने वहां से ही एक बैग लिया और गाढ़ी TATA sumo मैं बैठा और गाड़ी में 10 और भी लोग थे जिनमें से  7 मेंबर एक ही फैमिली से थे और एक एमपी का 1 रूपी का एक में और हम पहलगाम पहुंचे शाम को और मैं वहां घूमना फिरना शुरु कर दिया वहां एक गुरुद्वारा था और गुरुद्वारे  की सरा में काफी और लोग थे  वहां से पास में एक बाजार लगा हुआ था मैंने  वहां से एक जैकेट लिया और घर के लिए एक अपनी बहन के लिए Stol लिया और साथ में एक पुलिया थी  पर कोई और भी कपड़े बेच रहा था मैं उसे कपड़े देखने लगा तो मैं पहली बार कश्मीर गया था मुझे नहीं मालूम था उसके साथ ही बगल में एक दो तीन चार लड़के कश्मीरी खड़े हुए थे मैंने उनको पैसे दिए और सामान लिया और मैं वहां से चल पड़ा और मेरे पीछे पीछे 4 5 कश्मीरी लड़के आ गए मुझे  घेर लिया उन्होंने मुझे पैसों के लिए बोला पैसे निकाल हां तेरे पास जो भी है पैसे निकाल और  मैं भगवान की कसम से नहीं डरा मैंने उनको बोला कि यह मेरे पास इतने पैसे हैं  मेरे घर  वाले मेरे साथ है मैं आपको पैसे देता हूं वह क्या मेरे साथ चल पड़े मैं गुरुद्वारे के पास पहुंचा और  देखा अपनी आर्मी के नौजवान ड्यूटी दे रहे थे मैंने उनको जोर से आवाज लगा दी मैंने उनको बोला भैया यह लड के मेरे पीछे पीछे मुझसे पैसे मांग रहे हैं तब आर्मी वालों ने उनको आवाज लगाई वह भाग गए वहां से अमीबा ने मुझसे पूछा भी कि तुमने उनको कुछ दीया तो नहीं मैंने कहा कुछ नहीं मुझसे पूछा तुम सही हो ठीक हो हां मैंने बोला सर मैं ठीक हूं बिल्कुल इतना मुझसे पूछा था तुम्हारे साथ  और कौन है मैंने कहा मैं अकेला ही आया हूं ओरेकल पंजाब का सरदार फौजी भाई था वहां पर उसने मुझसे पंजाबी में बात की उसने मुझे कहां की  गुरुवर में ठहर जा और कहीं बाहर मत जाना माहौल बहुत खराब है जहां के मैंने उनकी बात  मानी सुबह 6:00 बजे उठा प्यार गांव से चंदनवाड़ी के लिए प्याज नहीं जाता शुरू कर दी और मेरे साथ एक दो आदमी थे भोलेनाथ का नाम लिया और यात्रा शुरू करती वहां से ही रास्ते में कुछ इस मेरी लोग और भी मिले बच्चे वह हमसे पैसे मांग रहे थे अल्लाह के वास्ते भगवान के वास्ते तो उनकी सहायता भी की जितनी हो सकी मुझसे चंद्र बारी पहुंचे तो वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर मांग रहे थे मैंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया कराई थी और मैंने मेरे पास ऐसा इलाका आइडेंटी कार्ड था मैंने वही दिखाया रिक्वेस्ट भी की उनको तो उन्होंने मुझे मेडिकल किया चेकअप किया और चंद्र माली से अमरनाथ की यात्रा मैंने शुरू की दोस्तों जैन मेरी प्रेम कहानी है इसमें एक परसेंट भी झूठ नहीं जब मैंने यात्रा शुरू की तो वहां रास्ते में जन्नत का नजारा देखा महसूस भी किया इतनी बड़ी बड़ी पहाड़ी बर्फ आसपास बर्फ ही बर्फ और मन बहुत ही खुश हुआ और शेषनाग को रातों का और फूफा बाबा जी के दर्शन किए पल भर में बारिश हो जाती है पता ही नहीं चलता मौसम तो पांच 10 मिनट के बाद बदलता ही रहता है कभी धूप कभी बादल बहुत ही नजारा था जन्नत का नजारा देखा हुआ नजारा आज मैं महसूस करता हूं अंधेरी इस साल जाने की इच्छा है बाबा के पास जाऊंगा भोलेनाथ के पास जय भोलेनाथ हर हर महादेव #NojotoQuote मेरे प्यारे दोस्तों यह मेरी सच्ची कहानी है एक बचपन के समय में कैसे भाग गया था
ये कहानी मेरी रियल है 6 june 1998 ki.                  घर से मेरा छोटा सा झगड़ा हुआ था और मैं घर से भाग गया था सबसे  पहले जालंधर रेलवे स्टेशन  पर गया मैंने वहां से जम्मू का टिकट लिया और  सफर में मैंने सोचा था कि माता वैष्णो देवी जाऊंगा मैं जम्मू के रेलवे स्टेशन पहुंचा उसके बाद में बस स्टैंड गया बस स्टैंड से गाड़ी जा रही थी अमरनाथ को अब मेरे मन में आया क्यों ना मैं अमरनाथ यात्रा के लिए जाता हूं मेरे पास कोई कपड़ा कोई बैग भी नहीं था मैंने वहां से ही एक बैग लिया और गाढ़ी TATA sumo मैं बैठा और गाड़ी में 10 और भी लोग थे जिनमें से  7 मेंबर एक ही फैमिली से थे और एक एमपी का 1 रूपी का एक में और हम पहलगाम पहुंचे शाम को और मैं वहां घूमना फिरना शुरु कर दिया वहां एक गुरुद्वारा था और गुरुद्वारे  की सरा में काफी और लोग थे  वहां से पास में एक बाजार लगा हुआ था मैंने  वहां से एक जैकेट लिया और घर के लिए एक अपनी बहन के लिए Stol लिया और साथ में एक पुलिया थी  पर कोई और भी कपड़े बेच रहा था मैं उसे कपड़े देखने लगा तो मैं पहली बार कश्मीर गया था मुझे नहीं मालूम था उसके साथ ही बगल में एक दो तीन चार लड़के कश्मीरी खड़े हुए थे मैंने उनको पैसे दिए और सामान लिया और मैं वहां से चल पड़ा और मेरे पीछे पीछे 4 5 कश्मीरी लड़के आ गए मुझे  घेर लिया उन्होंने मुझे पैसों के लिए बोला पैसे निकाल हां तेरे पास जो भी है पैसे निकाल और  मैं भगवान की कसम से नहीं डरा मैंने उनको बोला कि यह मेरे पास इतने पैसे हैं  मेरे घर  वाले मेरे साथ है मैं आपको पैसे देता हूं वह क्या मेरे साथ चल पड़े मैं गुरुद्वारे के पास पहुंचा और  देखा अपनी आर्मी के नौजवान ड्यूटी दे रहे थे मैंने उनको जोर से आवाज लगा दी मैंने उनको बोला भैया यह लड के मेरे पीछे पीछे मुझसे पैसे मांग रहे हैं तब आर्मी वालों ने उनको आवाज लगाई वह भाग गए वहां से अमीबा ने मुझसे पूछा भी कि तुमने उनको कुछ दीया तो नहीं मैंने कहा कुछ नहीं मुझसे पूछा तुम सही हो ठीक हो हां मैंने बोला सर मैं ठीक हूं बिल्कुल इतना मुझसे पूछा था तुम्हारे साथ  और कौन है मैंने कहा मैं अकेला ही आया हूं ओरेकल पंजाब का सरदार फौजी भाई था वहां पर उसने मुझसे पंजाबी में बात की उसने मुझे कहां की  गुरुवर में ठहर जा और कहीं बाहर मत जाना माहौल बहुत खराब है जहां के मैंने उनकी बात  मानी सुबह 6:00 बजे उठा प्यार गांव से चंदनवाड़ी के लिए प्याज नहीं जाता शुरू कर दी और मेरे साथ एक दो आदमी थे भोलेनाथ का नाम लिया और यात्रा शुरू करती वहां से ही रास्ते में कुछ इस मेरी लोग और भी मिले बच्चे वह हमसे पैसे मांग रहे थे अल्लाह के वास्ते भगवान के वास्ते तो उनकी सहायता भी की जितनी हो सकी मुझसे चंद्र बारी पहुंचे तो वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर मांग रहे थे मैंने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया कराई थी और मैंने मेरे पास ऐसा इलाका आइडेंटी कार्ड था मैंने वही दिखाया रिक्वेस्ट भी की उनको तो उन्होंने मुझे मेडिकल किया चेकअप किया और चंद्र माली से अमरनाथ की यात्रा मैंने शुरू की दोस्तों जैन मेरी प्रेम कहानी है इसमें एक परसेंट भी झूठ नहीं जब मैंने यात्रा शुरू की तो वहां रास्ते में जन्नत का नजारा देखा महसूस भी किया इतनी बड़ी बड़ी पहाड़ी बर्फ आसपास बर्फ ही बर्फ और मन बहुत ही खुश हुआ और शेषनाग को रातों का और फूफा बाबा जी के दर्शन किए पल भर में बारिश हो जाती है पता ही नहीं चलता मौसम तो पांच 10 मिनट के बाद बदलता ही रहता है कभी धूप कभी बादल बहुत ही नजारा था जन्नत का नजारा देखा हुआ नजारा आज मैं महसूस करता हूं अंधेरी इस साल जाने की इच्छा है बाबा के पास जाऊंगा भोलेनाथ के पास जय भोलेनाथ हर हर महादेव #NojotoQuote मेरे प्यारे दोस्तों यह मेरी सच्ची कहानी है एक बचपन के समय में कैसे भाग गया था