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जब कुछ नहीं था लिखने को मैने पढ़ा पिता की आंखों क

जब कुछ नहीं था लिखने को 
मैने पढ़ा पिता की आंखों को 
जानना चाहा उनमें छिपे दर्द को
ऑर अंत में मुझे हासिल हुआ
जिसे महसूस किया मैने 
पिता का उनकी आंखो में मेरे लिए 
असीम प्रेम को

जो निश्छल था बिल्कुल 
गंगा घाट के पानी की तरह
निस्वार्थ था बिल्कुल
छांवदार पेड़ की तरह
ऑर अटूट था बिल्कुल
मजबूत रिश्तों कि डोर की तरह।।
मेरी कलम✍️✍️
 #पिता 
#पुत्र 
#yqbaba 
#yourquotebaba
जब कुछ नहीं था लिखने को 
मैने पढ़ा पिता की आंखों को 
जानना चाहा उनमें छिपे दर्द को
ऑर अंत में मुझे हासिल हुआ
जिसे महसूस किया मैने 
पिता का उनकी आंखो में मेरे लिए 
असीम प्रेम को

जो निश्छल था बिल्कुल 
गंगा घाट के पानी की तरह
निस्वार्थ था बिल्कुल
छांवदार पेड़ की तरह
ऑर अटूट था बिल्कुल
मजबूत रिश्तों कि डोर की तरह।।
मेरी कलम✍️✍️
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#पुत्र 
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jaigupta4833

Jai Gupta

New Creator