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White महज़ चंद सज़दों की आदायगी को, तुम इबादत-ए-रूहा

White महज़ चंद सज़दों की आदायगी को,
तुम इबादत-ए-रूहानी ना समझ लेना।

तुम अपने माथे को हुसैन की,
पेशानी ना समझ लेना।

एहम, गुरूर, तक़ब्बुर, जलन, हसद,
नफ़रत, नफ़्स, रियाकारी, ख़्वाहिशात.. सब
क़ुर्बान करना पडता है दीन-ए-हक़ में,

तुम फ़क़त जानवर की क़ुर्रबानी को ही,
क़ुर्बानी ना समझ लेना।
Comp. By javed...✍🏻

©Md. Javed Saudagar
  #क़ुर्बानी