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मिले ही नहीं वो शब्द जिससे तेरा ये भोलापन बयाँ कर

मिले ही नहीं वो शब्द जिससे तेरा 
ये भोलापन बयाँ कर पाऊँ

अपने नाम जैसा है तू भी बड़ा ‘नटखट’
ये तुझे मैं किस तरह बतलाऊँ?

मिले नहीं वो लम्हें जिसमें,
ये हाल-ए-दिल तुझे समझाऊँ 

चुप रहते है मेरे लब पर 
ये एहसास कैसे भूल जाऊँ?

रूठना नहीं मुझसे ,जो कहूँ मोहब्बत है,
ये नादाँ सी ‘इल्तिजा’ कैसे कर पाऊँ ?

दोस्त कहूँ, कभी यार अपना,इजाज़त नहीं 
कि तुझे ‘अपना कान्हा’ बुला पाऊँ #भोलापन #मासूम #मोहब्बत #कान्हा #yqbaba #yqdidi #drgpoems

Photo credits :  zastavik.com
मिले ही नहीं वो शब्द जिससे तेरा 
ये भोलापन बयाँ कर पाऊँ

अपने नाम जैसा है तू भी बड़ा ‘नटखट’
ये तुझे मैं किस तरह बतलाऊँ?

मिले नहीं वो लम्हें जिसमें,
ये हाल-ए-दिल तुझे समझाऊँ 

चुप रहते है मेरे लब पर 
ये एहसास कैसे भूल जाऊँ?

रूठना नहीं मुझसे ,जो कहूँ मोहब्बत है,
ये नादाँ सी ‘इल्तिजा’ कैसे कर पाऊँ ?

दोस्त कहूँ, कभी यार अपना,इजाज़त नहीं 
कि तुझे ‘अपना कान्हा’ बुला पाऊँ #भोलापन #मासूम #मोहब्बत #कान्हा #yqbaba #yqdidi #drgpoems

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