सेना के शौर्य को हम , आज नमन कर लेते हैं। देश के वीरों के सम्मान में , अपना सिर झुका लेते हैं।। देश की गाथा को हम , गीत बना कर सुनते हैं। दुश्मन की औकात को हम , फिर से दिखला देते हैं। हिन्दुस्तान के बेटे हैं हम भी , खुली चुनौती देते हैं। आ मैदान में एक बार तू , इतिहास को फिर से दोहरा देते हैं। वो गलती जो हम कर बैठे हैं , सन् 65 को भूल कर बैठे हैं। सीने पर गोलियां खाकर भी , लाहोर को हिन्दुस्तान बना कर भी दुश्मन को माफ कर बैठे हैं। .ये विश्वास दिलाते हैं हम तुमको , सन् 65 को न दोहराएंगे लाहोर का तो कहना ही क्या , पूरा पाकिस्तान हिन्दुस्तान बनाएंगे उस मिट्टी के वीर कहलाते हैं , जहां पग भर पर मिट जाते हैं। कश्मीर की आशा तू छोड़ दे , यहाँ भूमी के खातिर तो भाई से भाई भी लड़ जाते हैं।। मेरी कलम से