सर्द तूफ़ान में जिन्हें फ़ौलाद बनना था रोम-रोम जिन्हें दिन-रात जलना था रोयेंदार ख़्वाब! गुम्फित भाव से अंजान पल भर पंखों में भर क्यों मेह सृजना था ये रोशनी के पंख उन्मिष आश रेशम की जलता हुआ सूरज इन्हीं आँखों में रखना था? सब दृश्य थे स्वाहा! स्वधा के मंत्र पढ़ना था! अग्निस्फुलिंग रज में तुम्हें वन-वसंत रँगना था विराग! स्पंदन में तुम्हें अनुराग पढ़ना था... अनगढ़ अबूझ मन में नेहिल हृदय गढ़ना था मग था! मोहक हो, अनुरंजित हो, मादक हो! विदिश हो रहे कोई! तुम्हारा पथ सुनिश्चित था तुम बढ़ गए आगे तुम्हें जिस ओर बढ़ना था साथ पल दो पल तृषित मौसम का छलना है एकाकी रही राहें यहाँ एकाकी चलना है बात लेकिन ये कोई आसान गुनना है अंगीकार ताप रोम-रोम घुलना है रसना पे अंगारे नयन में नेह जलना है #toyou#yqseason#yqlife#yqtime#yqyouandme#yqlove#yqdeathfact#sparkoflife