आज कलम उठा ही ली है, तो क्यूँ न कुछ बात हो जाए महीनों से सिले होंठ और दिल के ज़ज़्बात आज़ाद हो जाए 'हुस्न-ऐ-ख़ास' और 'तिल-ऐ-परवलय' छोड़िये, मोहतरमा... इज़ाज़त हो आपकी तो बताइए, आज कानों के 'झुमको' की बात हो जाएं सिर्फ तस्वीर से ही मेरा ये हाल है तो, यक़ीन मानिए... ग़र नज़र पड़ गयी सामने से तो, ख़ामख़ाह... महफ़िल में क़त्ले-आम हो जाए // ©Shivam Dhuriya #jhumka #jhumkalover #nojota #Tranding