एक शाम ढलने का इंतेज़ार है ख्यालो मैं उसके पेश हमें होना है कोई देख ना ले हमारे बहते आंसू यादो मैं उसके छिप -छिप कर रोना है अरे -अरे अब तो हमारा पीछा छोड़ो हमारे कातिल हमारा साथ ही इस किस्मत को ना मंज़ूर होना है हिमांशु सागर