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साम्प्रदायिक तुफान में किनारे पर अडिग स्तंभ बनने स

साम्प्रदायिक तुफान में
किनारे पर अडिग स्तंभ
बनने से समाधान कहाँ?
अरे! नाविक उतर सागर में
फिर सुंदर मोती चुन और
सदा गीत प्रेम के गाता रहे।
पराधीन होकर स्वयं में
उलझा हुआ आदमी नहीं
जानता धर्म क्या है?
बस खोजता स्वयं जैसे
बना लेता है एक मंच
ताकि धर्म नही धंधा
यह निर्बाध चलता रहे।
स्वयं जले प्रेममशाल सा
फिर नफरत के अँधेरे  
में भी रोशन जहां रहे।
सम्प्रदाय चाहे जितने भी
निर्मित करते जाये हम
पर अनन्त: प्रकाश सिर्फ
और सिर्फ.........
मानवता से ही रहे।
अच्छा रहेगा अनिल
हम धर्म के लिए नही
धर्म हमारे लिए रहे।

©Anil Ray          🌺 मानवता परमो धर्म: 🌺

       विचारार्थ लेखन.............. ✍🏻

🟠संसार का प्रत्येक मानव अपनी मौलिक शारीरिक रचनानुसार समान है अर्थात एक है। जब सभी मानव एक ही है तो एक मानव के अनेक धर्म क्यों?

🟡प्राकृतिक अस्तित्व से भिन्न किसी काल्पनिक और अवैज्ञानिक
सत्ता को स्वीकार करना ही
साम्प्रदायिक तुफान में
किनारे पर अडिग स्तंभ
बनने से समाधान कहाँ?
अरे! नाविक उतर सागर में
फिर सुंदर मोती चुन और
सदा गीत प्रेम के गाता रहे।
पराधीन होकर स्वयं में
उलझा हुआ आदमी नहीं
जानता धर्म क्या है?
बस खोजता स्वयं जैसे
बना लेता है एक मंच
ताकि धर्म नही धंधा
यह निर्बाध चलता रहे।
स्वयं जले प्रेममशाल सा
फिर नफरत के अँधेरे  
में भी रोशन जहां रहे।
सम्प्रदाय चाहे जितने भी
निर्मित करते जाये हम
पर अनन्त: प्रकाश सिर्फ
और सिर्फ.........
मानवता से ही रहे।
अच्छा रहेगा अनिल
हम धर्म के लिए नही
धर्म हमारे लिए रहे।

©Anil Ray          🌺 मानवता परमो धर्म: 🌺

       विचारार्थ लेखन.............. ✍🏻

🟠संसार का प्रत्येक मानव अपनी मौलिक शारीरिक रचनानुसार समान है अर्थात एक है। जब सभी मानव एक ही है तो एक मानव के अनेक धर्म क्यों?

🟡प्राकृतिक अस्तित्व से भिन्न किसी काल्पनिक और अवैज्ञानिक
सत्ता को स्वीकार करना ही
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator