ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ जाए ऐ दिल की लगी चल यूँही सही चलता तो हूँ उन की महफ़िल में उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल आ जाए ऐ रहबर-ए-कामिल चलने को तय्यार तो हूँ पर याद रहे उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए Ethereal Infinia Shalini Ren