जब चले थे कदम तो रुक क्यों गए कुछ कह रहे थे होंठ तो चुप क्यों गए ऐसी तो शख्सियत नहीं थी उनकी, कि वह दगा दे जाएं अब जब चले ही गए, तो जरूर कोई बात होगी ना देंगे दोष हम उन्हें, यह जमाना उन्हें ही गलत समझेगा कठिन है डगर, मगर मेरे दोस्त जी लेंगे ज़िंदगी वरना इस जिंदगी को ज़माना भ्रम समझेगा । Rajmani Singh #rajmanisingh #mereshabd