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चलूं मैं तेरी जानिब,तू गुसारता क्यों है, बाद में न

चलूं मैं तेरी जानिब,तू गुसारता क्यों है,
बाद में नाम ले ले कर,पुकारता क्यों है।
मुझे फना भी तूने किया,एक रोज "नीरज",
मिटा के फिर से मुझे,...अब संवारता क्यों है।।
-नीरज अकेला, तेरा जाना... दिल के अरमानों का लुट जाना...
चलूं मैं तेरी जानिब,तू गुसारता क्यों है,
बाद में नाम ले ले कर,पुकारता क्यों है।
मुझे फना भी तूने किया,एक रोज "नीरज",
मिटा के फिर से मुझे,...अब संवारता क्यों है।।
-नीरज अकेला, तेरा जाना... दिल के अरमानों का लुट जाना...
kumarneeraj5899

Kumar Neeraj

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