कोई आए तो जाने मेरी शब कैसे होती है न वक्त बीतता है न रात गुजरती है! होती है शाम तेरे खत के आसार में मैं ढूंढता हूं सही शाम तुझे हर रोज बाजार में न खत मिले तेरा न ही होता दीदार है फिर भी अपने वक्त का मुझे रहता इंतजार है! ©ADiL KHaN काश तू ऐसे आए! जैसे कोई दुआ!