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माता-पिता तरक्की का सिलसिला रूठी माँ को मनाने से

माता-पिता 

तरक्की का सिलसिला रूठी माँ को मनाने से कम नही होता।
पिता के पैरों की धूल को माथे पे सजाने से कम नही होता।
अपने माँ बाप को हमेशा अपने पास रखा करो ऐ मेरे दोस्त। 
क्योंकि ,इन दोनों का पास होना किसी कुबेर के खजाने से कम नही होता।

©Anil kumar jatav कि दहलीज नही होती दीवारो दर नही होता-2
अगर घर में माँ-बाप न हो तो घर, घर नही होता।
माता-पिता 

तरक्की का सिलसिला रूठी माँ को मनाने से कम नही होता।
पिता के पैरों की धूल को माथे पे सजाने से कम नही होता।
अपने माँ बाप को हमेशा अपने पास रखा करो ऐ मेरे दोस्त। 
क्योंकि ,इन दोनों का पास होना किसी कुबेर के खजाने से कम नही होता।

©Anil kumar jatav कि दहलीज नही होती दीवारो दर नही होता-2
अगर घर में माँ-बाप न हो तो घर, घर नही होता।