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सुबह हो तुम शाम हो तुम, राग हो तुम वैराग हो तुम,

सुबह हो तुम
शाम हो तुम, 
राग हो तुम
वैराग हो तुम,
 
मेरे हृदय के दीप
मेरे चारों धाम हो तुम, 

जो जग की मानूँ
 तो हँस दूँ उन पर
मैं तुम्हारा सेवक
मेरे घनश्याम हो तुम!

©Harishh,,,,,  कविता कोश
सुबह हो तुम
शाम हो तुम, 
राग हो तुम
वैराग हो तुम,
 
मेरे हृदय के दीप
मेरे चारों धाम हो तुम, 

जो जग की मानूँ
 तो हँस दूँ उन पर
मैं तुम्हारा सेवक
मेरे घनश्याम हो तुम!

©Harishh,,,,,  कविता कोश
krishnaaharish3666

Harishh,,,,,

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