मेरी मोहब्बत मिले तुझको, तेरी इतनी औकात नहीं । तू बिस्तर के लिए तो ठीक है , मोहब्बत तेरे बस की बात नहीं। तेरे अक्स से भी आती है महक बेवफाई की, तू तो किसी का पाप है, अपने माँ बाप की औलाद नहीं। मैने इतना प्यार किया तुझको तूने साथ मेरा क्यूँ छोड़ दिया, मैं पसंद नहीं था कह देती, मेरा दिल ऐसे क्यूँ तोड़ दिया। एक रात अँधेरी में तूने, मुझे अपने पास बुलाया था, मुझे बाहों में भरके तूने अपना अश्क बहाया था। क्या झूटी थीं, वो सारी कसमें जो तूने मेरी खायी थीं, या उन सब में भी तूने अपनी साजिशें रचाई थीं। क्या झूटी थीं वो फोन कोल जो रात- रात भर होती थीं जब कभी- कभी इमोशनल हो तू बहुत देर तक रोती थी