क्या किसी के दिमाग़ में कभी ये ख्याल आया कि हमसे अच्छा तो रिक्शा वाला ही है, खुद कड़कती धूप को सहता है, लेकिन उसके मुसाफिरों के ऊपर छत होती है, हमारा इतना बोझ खींच कर हांफते हांफते हमें अपनी मंज़िल तक पंहुचाता है, ओर हम इतने बुज़दिल और निर्दयी है कि उसे अपना हक़ देने में भी मोलभाव करने लग जाते हैं, क्या किसी बड़े मॉल या शोरूम में जाकर भी ऐसा करते हैं?? अरे.. ! मैं भी पागल ही हूँ, वहां ऐसा क्यों करेंगे, वहां तो हमें शर्म महसूस होती है न | तो फिर उस मासूम के साथ अन्याय क्यों??? ज़रा गौर कीजियेगा इस बात पे..... ! हमसे अच्छा तो रिक्शा वाला ही है.... ! #rickshaw_wala #pityful #NojotoHindi #NojotoQuotes #My_quotes #inner_feelings