बादलों की तरह बारिश की कहानी में रहो तुम मेरा ग़म हो मेरी आंख के पानी में रहो मुझको मालूम है तुम इश्क़ नहीं कर सकते तो हवस बनके मेरे जिस्म के मानी में रहो दोस्ती तुम से दोबारा तो नहीं हो सकती तुम मेरे साथ मेरे दुश्मन-ए-जानी में रहो मैं ने फेंका नहीं टूटे हुए आईने को ता'के तुम बिखरे हुए मेरी निशानी में रहो - शकील आज़मी ©Manku Allahabadi मैं ने फेंका नहीं टूटे हुए आईने को !! ......................................................... बादलों की तरह बारिश की कहानी में रहो तुम मेरा ग़म हो मेरी आंख के पानी में रहो मुझको मालूम है तुम इश्क़ नहीं कर सकते तो हवस बनके मेरे जिस्म के मानी में रहो